149 Sad Shayari

sad-shayari

Step into the realm of emotions and melancholy with our collection of 149 Sad Shayari. Life’s journey is not always smooth, and within this poignant compilation, you will find verses that beautifully express the depth of pain, heartache, and longing.

Sad Shayari touches the soul, offering a channel to release emotions and find solace in shared feelings.

Whether you seek solace, a way to articulate your own grief, or simply an exploration of human emotions, these verses will resonate with the tenderest corners of your heart.

जिन्हें महसूस इंसानों के रंजो-गम नहीं होते,
वो इंसान भी हरगिज पत्थरों से कम नहीं होते।


हम अजनबी थे जब तुम बातें खूब किया करते थे
अब सना साईं है तो तुम हमको याद भी नहीं करते


जो प्यार करतें है वो बड़े अजीब होतें हैं,
उन्हें खुशी के बदले गम नसीब होते है,
न करना तू प्यार कभी किसी से,
क्योंकि प्यार करने वाले बड़े बदनसीब होतें है।


तेरी आँखों में सच्चाई की एक राह दिखाई देती है,
तू है मोहब्बत का दीवाना ऐसी चाह दिखाई देती है,
माना कि ठोकर खाई है जमाने में बेवफाओं से,
पर तू आशिक है तुझमें मोहब्बत की चाह दिखाई देती है।


हर किसी के नसीब में कहा लिखी होती हे चाहतें, कुछ लोग दुनिया में आते हे सिर्फ तन्हाइयों के लिए.


बिखरी हुयी ज़िंदगी तमन्नाओ का ढेर होती हैं
अच्छी शायरी शब्दों का हेर फेर होती हैं
टुटा हुआ दिल गम का घर होता हैं
नाकाम आशिक़ ज़ार ज़ार रोता हैं
हम जो सोचे कहा सच में वो सच होता हैं


मेरे लफ्जों से निकल जायें अशआर,
कोई ख्वाहिश जो तेरे बाद करूं।


नज़रअंदाज़ करने की सजा देनी थी तुमको !
तुम्हारे दिल में उतर जाना ज़रूरी हो गया था।


ज़रूरी तो नहीं ज़बान से कहे दिल की बात
ज़बान एक और भी होती है इज़हार मोहब्बत की


जब कोई दिल तोड़ कर चला जाता है,
तब दरिया का पानी आँखों मे उतर जाता है,
कोई बना लेता है रेत पर आशियाना,
कोई लहरों में बिखर जाता हैं।


इस मोहब्बत की किताब के,
बस दो ही सबक याद हुए,
कुछ तुम जैसे आबाद हुए,
कुछ हम जैसे बरबाद हुए।


उन्होंने हमें आजमाकर देख लिया,
इक धोखा हमने भी खा कर देख लिया.
क्या हुआ हम हुए जो उदास,
उन्होंने तो अपना दिल बहला के देख लिया.


झांखकर देखा होता एक बार तो डोली के अंदर,
के हो गया हैं अब मेरी भी ज़िंदगी का पूरा सफर
तेरे साथ साथ अब मेरी भी मंज़िल ख़त्म हो गयी
बताने ना दिया तूने और कह दिया तू बेवफा हो गयी


ये जो तुम मेरा हालचाल पूछते हो,
बड़ा ही मुश्किल सवाल पूछते हो।


वादो से बंधी जंजीर थी जो तोड दी मैँने,
अब से जल्दी सोया करेंगे ,मोहब्बत छोड दी मैँने।


बहुत अजीब सिलसिले है मोहब्बत इश्क मैं
कोई वफ़ा के लिए रोया तो कोई वफ़ा कर के रोया


तेरी मोहब्बत में इस जहां को भूल गए,
हम औरों को अपनाना भूल गए,
सारे जहां को बताया तुझ से मोहब्बत है,
सिर्फ तुझे ही बताना भूल गए।


आँसू निकल पड़े…
इतना तो ज़िंदगी में, न किसी की खलल पड़े,
हँसने से हो सुकून, न रोने से कल पड़े,
मुद्दत के बाद उसने, जो की लुत्फ़ की निगाह,
जी खुश तो हो गया, मगर आँसू निकल पड़े।


फुर्सत में याद करना हो तो मत करना, हम तन्हा ज़रूर है, मगर फज़ूल नही।


हम तो फना हो गए उसकी आंखे देखकर गालिब, न जाने वो आइना कैसे देखते होंगे


इस भरी दुनिया में कोई भी हमारा न हुआ
ग़ैर तो ग़ैर हैं अपनों का सहारा न हुआ


हमारी ज़िंदगी तो कब की भिखर गयी
हसरते सारी दिल में ही मर गयी
चल पड़ी वो जब से बैठ के डोली में
हमारी तो जीने की तमन्ना ही मर गयी


मुद्दत से कोई शख्स रुलाने नहीं आया,
जलती हुई आँखों को बुझाने नहीं आया,
जो कहता था कि रहेंगे उम्र भर साथ तेरे,
अब रूठे हैं तो कोई मनाने नहीं आया।


गर शौक चढ़ा है इश्क़ का तो इम्तेहान देना तुम,
बारिश में भी मेरे अश्क़ों को पहचान लेना तुम।


ज़िन्दगी यु भी कम है मोहब्बत के लिए
यु रूठ के वक़्त गुजारने की ज़रूरत किया है


आज फिर गुमनाम चेहरों में तू नज़र आया है, आज “फिर” तेरी यादों ने मुझे रुलाया है, तेरी मोहब्बत ने मुझे चकना चूर किया है, क्यों आज फिर तूने वेबफा का इल्ज़ाम लगाया है।


किसी की याद दिल में आज भी है,
वो भूल गए मगर हमें प्यार आज भी है

हम खुश रहने की कोशिश तो करते हैं मगर
अकेले में आंसू बहते आज भी हैं …


आज तेरे लिए वक्त का इशारा है,
देखता ये जहां सारा है,
फिर भी तुझे रास्तों की तलाश है,
आज फिर तुझे मंज़िलो ने पुकारा है।


इस कदर तोड़ा है मुझे उसकी बेवफाई ने गालिब, अब कोई प्यार से भी देखे तो बिखर जाता हूं मैं|


तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं
किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं


उलझन भरे दिन हैं मेरे, तनहा हैं राते
दे जाती हैं जख्म, मुझे तेरी वो बातें

हम भी बढ़ के थाम लेते तेरा दामन
यूँ तूने हमको अगर रुलाया ना होता

तेरी नजरो के हम भी एक नज़ारे होते
जो तूने अपनी नजरो में हमे बसाया होता


जरा सा झाँक कर तो देखिये वीरान आँखों में,
सभी एहसास आँखों की नमी से तय नहीं होते।


इश्क़ ही ख़ुदा है सुन के थी आरज़ू आई,
ख़ूब तुम ख़ुदा निकले वाक़िये बदल डाले ।


कैसे करें बयाँ तुझसे दर्द की इन्तहा को अब्बास
अपनी ही निगाहों की नमी देख कर रो पड़े आज हम


आज फिर तन्हाईयो ने तुझे पुकारा है,
ये तो मेरा दिल बेचारा है,
तू इस दिल से दूर हो गया है,
आज फिर इस दिल को यक़ीन नही आया है।


चटख़ रहा है जो, रह रह के मेरे सीने में,
वो मुझ में कौन है, जो टूट जाना चाहता है।


“शक करने से शक बढ़ता है, भरोसा करने से भरोसा बढ़ता है, ये आपकी इच्छा है कि आप किस तरफ बढ़ना चाहते हो।”


कितना खौफ होता है शाम के अंधेरों में, पूछ उन परिंदों से जिनके घर नहीं होते|


तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
क्या ग़म है जिस को छुपा रहे हो


तुझे क्या खबर थी की तेरी यादो ने किस-2 तरह सताया
कभी अकेले में हसांया…… तो कभी महफ़िलो में रुलाया


तुमने सोच लिया मिल जायेंगे बहुत चाहने वाले,
ये भी सोच लेते कि फर्क होता है चाहतों में भी।


फूल बनके वो हमको दे गया चुभन इतनी,
काँटों से है दोस्ती अब आसरे बदल डाले ।


मेरी मोहब्बातें भी अजीब थी मेरा फैज़ भी था कमाल पर
कभी सब कुछ मिला बिना तलब के तो कभी कुछ ना मिला सवाल पर


उम्र भर के गमो का पैगाम दे गया,
हमे तो वो वेबफा का इल्ज़ाम दे गया,
चाहा था जिसे कभी टूटकर हमने,
वही हमे तन्हाईयों के सैलाब दे गया।


मुझ को ख़ुशियाँ न सही ग़म की कहानी दे दे,
जिस को मैं भूल न पाऊँ वो निशानी दे दे।


मेहरबाँ हो के बुला लो मुझे, चाहो जिस वक्त, मैं गया वक्त नहीं हूँ, के फिर आ भी न सकूँ।


चलने का हौसला नहीं रुकना मुहाल कर दिया
इश्क़ के इस सफ़र ने तो मुझ को निढाल कर दिया


ज़िन्दगी की हसीन राह पर तुम मुझसे आकर टकरा गए
दिखाकर आँखों को ख्वाब प्यारा सा, फिर उसे भिखरा गए
फूल अरमानों के जो भी खिले मेरे दिल में सब मुरझा गए
खुशियों को मेरी लूटकर तुम.., गमो के बादल बरसा गए


ऐसा नहीं कि शख्स अच्छा नहीं था वो,
जैसा मेरे ख्याल में था बस वैसा नहीं था वो।


शान से मैं चलता था कोई शाह कि तरह,
आ गया हूँ दर दर पे क़ाफ़िले बदल डाले ।


दाद देते है हम तुम्हारे नज़र अंदाज़ करने के हुनर को
जिस ने भी सिखाया है वो उद्ताद कमाल का होगा


वो हम पर हर इल्ज़ाम लगाते हैं,
वो हर ख़ता हमे बताते है,
हम तो बस चुप रहतें है क्योंकि,
वो हम पे अपना हक जताते हैं।


रात गई तो तारे चले गए,
गैरों से क्या गिला जब हमारे चले गए,
हम जीत सकते थे कई बाज़िया,
बस कुछ अपनों को जीताने के लिए हम हारे चले गऐ,


हँसी ने लबों पे थिरकना छोड़ दिया है,
ख्वाबों ने पलकों पे आना छोड़ दिया है,
नही आती अब तो हिचकियाँ भी,
शायद आप ने भी याद करना छोड़ दिया है.


हाथों की लकीरो पे मत जा ग़ालिब नसीब उनके भी होते है जिनके हाथ नहीं होते


दिन किसी तरह से कट जाएगा सड़कों पे ‘शफ़क़’
शाम फिर आएगी हम शाम से घबराएँगे


मैंने पत्थरों को भी रोते देखा है, झरने के रूप में
मैंने पेड़ों को प्यासा देखा है, सावन की धुप में,
घुलमिल के बहुत रहते हैं, लोग जो शातिर हैं बहुत
मैंने अपनों को तनहा देखा है, बेगानों के रूप में !!


राह-ए-वफ़ा में किसका किसने दिया है साथ,
तुम भी चले चलो यूँ ही जब तक चली चले।


आसमाँ को छूने की कूवतें जो रखता था,
आज है वो बिखरा सा हौंसले बदल डाले ।


गहरी रात भी थी हम दर भी सकते थे
हम जो कहे ना सके वो कर भी सकते थे
तुम ने साथ छोड़ दिया हमारा ये भी ना सोचा
हम पागल थे तेरे लिए मर भी सकते थे


प्यार मुकद्दर है कोई ख़्वाब नही,
ये वो अदा है जिसमें हर कोई कामयाब नहीं,
जिन्हें मिलती मंज़िल उंगलियों पे वो खुश है,
मगर जो पागल हुए उनका कोई हिसाब नही।


इस जमीन से तो हम रिश्ता तोड़ जाएंगे,
बस यादों का एक शहर छोड़ जाएंगे,
वेबफा तू मुझे सताएगा कितना,
एक दिन तुझसे हमेशा के लिए मुह मोड़ जाएंगे।


कौन कहता है कि मुसाफिर ज़ख्मी नही होते, रास्ते गवाह है, बस कमबख्त गवाही नही देते।


इश्क़ ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया वरना हम भी आदमी थे काम के


ये और बात कि चाहत के ज़ख़्म गहरे हैं
तुझे भुलाने की कोशिश तो वर्ना की है बहुत


इतनी तन्हाइयाँ हैं,
डर भी सकती हूँ,

दर्द -ओ- ग़म की आँधियों से,
टूट कर बिखर भी सकती हूँ,

तुम मुझसे दूर तो चले गये,
पर ये तलक कभी नहीं सोचा,

मैं तो पागल हूँ,
मर भी सकती हूँ ?


न जाने क्यूँ वक़्त इस तरह गुजर जाता है,
जो वक़्त था वो पलट कर सामने आता है,
और जिस वक़्त को हम दिल से पाना चाहते हैं,
वो तो बस एक लम्हा बनकर बीत जाता है।


जो मिला मुसाफ़िर वो रास्ते बदल डाले,
दो क़दम पे थी मंज़िल फ़ासले बदल डाले ।


मिल भी जाते हैं तो कतरा के निकल जाते हैं,
मौसम की तरह लोग… बदल जाते हैं,
हम अभी तक हैं, गिरफ्तार-ए-मोहब्बत यारों,
ठोकरें खा के सुना था कि संभल जाते हैं।


दिल में हर राज़ दबा कर रखते है,
होंटो पर मुस्कुराहट सजाकर रखते है,
ये दुनिया सिर्फ खुशी में साथ देती है,
इसलिए हम अपने आँसुओ को छुपा कर रखते है।


रात है ,सनाटा है , वहां कोई न होगा, ग़ालिब चलो उन के दरो -ओ -दीवार चूम के आते हैं


उठते नहीं हैं अब तो दुआ के लिए भी हाथ
किस दर्जा ना-उमीद हैं परवरदिगार से


बिछड़ के तुम से ज़िंदगी सज़ा लगती है,
यह साँस भी जैसे मुझ से ख़फ़ा लगती है ।

तड़प उठता हूँ दर्द के मारे,
ज़ख्मों को जब तेरे शहर की हवा लगती है ।

अगर उम्मीद-ए-वफ़ा करूँ तो किस से करूँ,
मुझ को तो मेरी ज़िंदगी भी बेवफ़ा लगती है।


अब सोचते हैं लाएँगे तुझ सा कहाँ से हम,
उठने को उठ तो आए तेरे आस्ताँ से हम।


कितने सालों के इंतज़ार का सफर खाक हुआ ।
उसने जब पूछा “कहो कैसे आना हुआ”।


निभाया वादा हमने शिकवा ना किया
दर्द सहे मगर तुझे रुशवा ना किया
जल गया नशेमन मेरा ख़ाक अरमां हुए
सब तूने किया मगर मैंने कर्चा ना किया


लुटा कर मोहब्बत अपनी..सरेआम बैठे हैं
सुकून तो मिला होगा ना तुम्हें
लो-आज़ हम बर्बाद बैठे हैं !


काश वो समझते इस दिल की तड़प को,
तो हमें यूँ रुसवा न किया जाता,
यह बेरुखी भी उनकी मंज़ूर थी हमें,
बस एक बार हमें समझ तो लिया होता।


दुनियां बहुत मतलबी है, साथ कोई क्यों देगा, मुफ़्त का यहाँ कफन नही मिलता, तो बिना गम के प्यार कौन देगा।


ख्वाहिशों का काफिला भी अजीब ही है ग़ालिब अक्सर वहीँ से गुज़रता है जहाँ रास्ता नहीं होता


ग़म है न अब ख़ुशी है न उम्मीद है न यास
सब से नजात पाए ज़माने गुज़र गए


कैसे जीऊ मैं खुशहाल ज़िन्दगी
उसकी मोहब्बत ने हमको मारा हैं

रखा था जो दिल संभाल कर
उस दिल को हमने हारा हैं

बनता हैं महफ़िलो की शान वो
पर बनता ना मेरा सहारा हैं

दूर भी हम कैसे रह सकते हैं
इंसां वो सबसे लगता प्यारा हैं

जाए कहा अब उसे छोड़ कर
बिन उसके ना अब गुजारा हैं

इंतजार में कटते हैं दिन और रात
दूजा ना अब कोई और चारा हैं


किसी को इतना मत चाहो कि भुला न सको,
यहाँ मिजाज बदलते हैं मौसम की तरह।


मैं आईना हूँ टूटना मेरी फितरत है,
इसलिए पत्थरों से मुझे कोई गिला नहीं।


किसको निभा ना सकू मैं ऐसा वादा नहीं करता
में बातें अपनी औकात से जायदा नहीं करता


हम हैं सूखे हुए तालाब पे बैठे हुए हंस
जो तअल्लुक़ को निभाते हुए मर जाते हैं


कहानी का तेरी मैंने यक़ीं तो कर लिया लेकिन
हक़ीक़त एक दिन फिर से तिरी आँखों से पूछूँगा


जब कभी मोहब्बत ही नही की तो रोकते क्यों हो,
खामोशियों में मेरे लिए सोचते क्यों हो,
जब रास्ते हो गए अलग अब जाने दो मुझे,
कब लौटकर आओगे पूछते क्यों हो।


दर्द है दिल में पर इसका एहसास नहीं होता;
रोता है दिल जब वो पास नहीं होता;
बर्बाद हो गए हम उसके प्यार में;
और वो कहते हैं इस तरह प्यार नहीं होता


नादान हो जो कहते हो क्यों जीते हैं “ग़ालिब “ किस्मत मैं है मरने की तमन्ना कोई दिन और


दीवारों से मिल कर रोना अच्छा लगता है
हम भी पागल हो जाएँगे ऐसा लगता है


जिसने भी की मुहब्बत, रोया जरूर होगा।
वो याद में किसी के खोया जरूर होगा।

दिवार के सहारे, घुटनों में सिर छिपाकर ,
वो ख्याल में किसी के खोया जरुर होगा।

आँखों में आंसुओ के, आने के बाद उसने,
धीरे से उसको उसने, पोंछा जरुर होगा।

जिसने भी की मुहब्बत, रोया जरूर होगा।


मुद्दत से थी किसी से मिलने की आरज़ू,
ख्वाहिश-ए-दीदार में सब कुछ गँवा दिया,
किसी ने दी खबर कि वो आयेंगे रात को,
इतना किया उजाला कि घर तक जला दिया।


दर्द कितना खुशनसीब है जिसे पा कर लोग अपनों को याद करते हैं,
दौलत कितनी बदनसीब है जिसे पा कर लोग अक्सर अपनों को भूल जाते है !


नींद तो दर्द के बिस्तर पे भी आ सकती है
उनकी आगोश में सर हो ये ज़रूरी तो नहीं


सिर्फ़ उस के होंट काग़ज़ पर बना देता हूँ मैं
ख़ुद बना लेती है होंटों पर हँसी अपनी जगह


किसकी मौजूदगी है कमरे में
इक नई रौशनी है कमरे में
इस क़दर ख़ामुशी है कमरे में
एक आवाज़ सी है कमरे में


ज़िन्दगी की भीड़ में अकेले रहे गए,
उसकी जुदाई में आँसुओ के दरिया बह गए,
अब हमें कौन चुप कराने वाला है,
जो चुपाते थे वही रोने को कहे गए।


इस दुनिया मे जरूरी नहीं जिसे तुम चाहो वो तुम्हारा हो,
जीने के लिए तुम्हें उसी का सहारा हो,
कश्तियाँ टूट जाया करती हैं,
ज़रूरी तो नही होता कि हर कश्ती को किनारे हो।


ये ज़िंदगी हमे भी बहुत प्यारी है,
लेकिन फिर क्यों ऐसा लगता है,
के तेरे विन ये हमारी नही है।


मुझे इश्क है बस तुमसे नाम बेवफा मत देना,
गैर जान कर मुझे इल्जाम बेवजह मत देना,
जो दिया है तुमने वो दर्द हम सह लेंगे मगर,
किसी और को अपने प्यार की सजा मत देना ।।


अब तो वफ़ा करने से मुकर जाता है दिल,
अब तो इश्क के नाम से डर जाता है दिल,
अब किसी दिलासे की जरूरत नही है,
क्योंकि अब हर दिलासे से भर गया है दिल


लफ़्ज़ों की तरतीब मुझे बांधनी नहीं आती “ग़ालिब” हम तुम को याद करते हैं सीधी सी बात है


शाम भी थी धुआँ धुआँ हुस्न भी था उदास उदास
दिल को कई कहानियाँ याद सी आ के रह गईं


मोहब्बत करने वाले ना जीते है ना ही मरते है,
फूलों की चाह मैं वो काँटों पर से गुजरते है..!


अब भी इल्जाम-ए-मोहब्बत है हमारे सिर पर,
अब तो बनती भी नहीं यार हमारी उसकी।


मैं क्या जानूँ दर्द की कीमत ?
मेरे अपने मुझे मुफ्त में देते हैं !


नसीब अच्छे ना हो तो खूबसूरती का किया फ़ायदा
दिलों के सहेजादे फकीर हुवा करते है


जिस को तुम भूल गए याद करे कौन उस को
जिस को तुम याद हो वो और किसे याद करे


हर रिश्‍ते की एक उम्र होती है,
पानी का बोझ बादल कब तक सहे।


ऐ बेवफा थाम ले मुझको मजबूर हूँ कितना,
मुझको सजा न दे मैं बेकसूर हूँ कितना,
तेरी बेवफ़ाई ने कर दिया है मुझे पागल,
और लोग कहतें हैं मैं मगरूर हूँ कितना।


मंजिल भी उसकी थी, रास्ता भी उसका था,
एक मैं ही अकेला था, बाकि सारा काफिला भी उसका था,
एक साथ चलने की सोच भी उसकी थी,
और बाद में रास्ता बदलने का फैसला भी उसी का था।


टूटे हुए दिल ने भी उसके लिए दुआ मांगी,
मेरी साँसों ने हर पल उसकी ख़ुशी मांगी,
न जाने कैसी दिल्लगी थी उस बेवफा से,
कि मैंने आखिरी ख्वाहिश में भी उसकी वफ़ा मांगी।


बे-वजह नहीं रोता इश्क़ में कोई ग़ालिब जिसे खुद से बढ़ कर चाहो वो रूलाता ज़रूर है


हमारे घर की दीवारों पे ‘नासिर’
उदासी बाल खोले सो रही ह


मोहब्बत हाथो में पहनी चूडी की तरह होती है
खनकती है,
संवरती है,
और
आखिर टूट जाती है|


था जहाँ कहना वहां कह न पाये उम्र भर,
कागज़ों पर यूँ शेर लिखना बेज़ुबानी ही तो है।


अश्क बहकर भी कम नहीं होते,
कम से कम मेरी आँखें तो अमीर हैं।


तुम मोहब्बत भी मौसम की तरह करते हो
कभी बरसते हो तो कभी एक बूंद के लिए तरसते हो


तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे
मैं एक शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे


जनाज़ा ले कर गुज़रना मेरा उनकी गली से
सिर्फ़ इत्तिला करने से उन्हें यकीं नहीं होगा


हमने रस्म रिवाज़ों से बग़ावत की है,
हमने वेपन्हा उनसे मोहब्बत की है,
दुआओं में जिसे था कभी मांगा,
आज उसी ने जुदा होने की चाहत की है।


मोहब्बत ऐसी थी कि उनको बता न सके,
चोट दिल पे थी इसलिए दिखा न सके,
हम चाहते तो नही थे उनसे दूर होना,
मगर दूरी इतनी थी उसे हम मिटा न सके।


ऐ बेवफा सांस लेने से तेरी याद आती है,
ऐ बेवफा सांस न लूँ तो भी मेरी जान जाती है,
मैं कैसे कह दूं कि बस मैं सांस से जिंदा हूँ,
ये सांस भी तो तेरी याद आने के बाद आती है।


कुछ तन्हाईयां वेबजह नही होतीं,
कुछ दर्द आवाज़ छीन लिया करतें है।


चिंगारी का ख़ौफ़ न दिया करो हमे,
हम अपने दिल में दरिया बहाय बैठे है,
अरे हम तो कब का जल गये होते इस आग में,
लेकिन हमतो खुद को आंसुओ में भिगोये बैठे है


कभी ग़म तो कभी तन्हाई मार गयी,
कभी याद आ कर उनकी जुदाई मार गयी,
बहुत टूट कर चाहा जिसको हमने,
आखिर में उनकी ही बेवफाई मार गयी।


उन के देखे से जो आ जाती है चेहरे पर रौनक वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है


उस ने पूछा था क्या हाल है
और मैं सोचता रह गया


ज़ख्मो पे मरहम कभी लगाया तो होता
मेरे आंसुओ के लिए दामन बिछाया तो होता

बदनामियों के बोझ से जब गर्दन झुक गयी
कन्धा अपना तुमने बढ़ाया तो होता

गिर गिर के संभल जाते फिर गिरने के लिए
अगर नजरो ने तेरी यूँ गिराया ना होता


प्यास दिल की बुझाने वो कभी आया भी नहीं,
कैसा बादल है जिसका कोई साया भी नहीं,
बेरुख़ी इस से बड़ी और भला क्या होगी,
एक मुद्दत से हमें उसने सताया भी नहीं।


इतना याद न आया करो, कि रात भर सो न सकें।
सुबह को सुर्ख आँखों का सबब पूछते हैं लोग।


तेरी महेफिल से उठे थे किसी को खबर तक ना थी
बस तेरा मोड़ मोड़ कर देखना हमें बदनाम कर गया


जब भी आता है मिरा नाम तिरे नाम के साथ
जाने क्यूँ लोग मिरे नाम से जल जाते हैं


यहां शाम-ओ-सहर अच्छा नहीं है
न राही, रहगुज़र अच्छा नहीं है ।
थी मजबूरियां जो घर को छोड़ आए
पता तो था शहर अच्छा नहीं है ।।


सनम बेवफा है,
ये वक्त बेवफा है,
हम शिकवा करें भी तो किस्से,
कमबख्त ज़िन्दगी भी तो वेबफा है।


जो नजर से गुजर जाया करते हैं,
वो सितारे अक्सर टूट जाया करते हैं,
कुछ लोग दर्द को बयां नहीं होने देते,
बस चुपचाप बिखर जाया करते हैं।


इश्क हमें जीना सिखा देता है,
वफा के नाम पर मरना सिखा देता है।
इश्क नहीं किया तो करके देखो जालिम,
हर दर्द सहना सीखा देता है।।


किसी को फूलों में ना बसाओ
फूलों में सिर्फ सपने बास्ते है
अगर बसाना है तो दिल में बसाओ
क्युकी दिल में सिर्फ अपने बास्ते है


इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ खुदा लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं


अभी न छेड़ मोहब्बत के गीत ऐ मुतरिब
अभी हयात का माहौल ख़ुश-गवार नहीं


बारिशों का क्या हैं, आजकल तो आँखों से बरसती हैं
तन्हाई में महफ़िल आखिर कहाँ सजा करती हैं
शंमायें भुझती हैं, और परवाने पिघलते हैं….
लोग तो रौशनी के लिए अपना दिल जलाये जाते हैं


औरों के पास जा के मेरी दास्तान न पूछ,
कुछ तो मेरे चेहरे पे लिखा हुआ भी देख।


मुस्कुराने से भी होता है ग़में-दिल बयां,
मुझे रोने की आदत हो ये ज़रूरी तो नहीं


रोने से अगर मिलती चाहत इस ज़माने मैं
तो आज एक सहर होता मुझ से वफ़ा निभाने के लिए


तुम मुझे छोड़ के जाओगे तो मर जाऊँगा
यूँ करो जाने से पहले मुझे पागल कर दो


आरोप हवा पर लगा कर,
दीया खुद के जिम्मेदारी से मुक्त हुआ!!


न जाने क्या कमी है मुझमे,
और न जाने क्या खूबी है उसमे,
वो मुझे याद नहीं करती,
और मैं उसे भुला नहीं पाता.


तुम्ही को मुबारक रहे दोस्तों, मुझे ऐसी दुनिया नहीं चाहिए
अपने ही मतलब से भरी इस दुनिया में कैसे कैसे हैं लोग
पिघलती नहीं आंसूओ से कभी, ये दुनिया वह पत्थर की दिवार हैं
किसी के गम से इसे क्या काम, ये दुनिया ख़ुशी की खरीददार हैं
ये दुनिया तो हैं एक नीलाम घर, यहाँ ज़िन्दगी बेच देते हैं लोग
किसे अपना, किसे अजनबी समझें, यहाँ मोहब्बत तक बेच देते हैं लोग
तुम्ही को मुबारक रहे दोस्तों, मुझे ऐसी दुनिया नहीं चाहिए
अपने ही मतलब से भरी इस दुनिया में कैसे कैसे हैं लोग

Conclusion

As we conclude this touching collection of 149 Sad Shayari, we bid farewell to a journey filled with emotions and melancholy.

These verses have allowed us to explore the depth of sorrow, heartache, and longing that touch the human heart.

Sad Shayari connects us through shared feelings and offers solace during difficult times. As we wrap up this emotional odyssey, may the essence of these verses continue to remind us of the beauty and vulnerability of human emotions, fostering empathy and understanding towards ourselves and others.